Love Poetry In Hindi |
वो सुबह सुहानी सी थी || Love Poetry In Hindi
जब तुम सैर पर निकली थी
मेरी किस्मत भी रूहानी सी थी
कि तुम सैर पर निकली थी
उसी दरमियां मैने तुम्हे
पहली दफा देखा था
तुम्हें क्या देखा
कि फिर कुछ और न देखा था
याद है वो आम का पेड़
जहां तुम्हारे टॉमी ने मुझे काटा था
दर्द तुमको हुआ मुझसे ज्यादा था
उस डॉक्टर को तुमने कितना सुनाया था
उसने तो बस अपना फर्ज निभाया था
मुझे इतनी सी भी तकलीफ में
तुम देख भी नही सकती थी
फिर आज अचानक क्या हुआ
तुम्हारा कोमल हृदय कैसे
पाषाण बन गया-२
कुछ तो सोच लेती
मेरे बारे में
कैसे जियूँगा बिन तुम्हारे मैं
कितनी आसानी से तुमने
अकेले ये फैसला ले लिया
क्यों एक बार भी न सोचा
कि जुड़ी है उससे दो जिंदगिया
जानता हूं तुम भी जी नही पाओगी
मेरे बिन
फिर क्यों दिखाती हो इतना कठोर दिल
एक बार फिर से सोच विचार करलो
क्या होगा उसके बाद मंजर
जहन में अपने धर लो
ये ना समझना कि मैं तुम्हें
कमजोर करना चाहता हूँ
मैं तो बस हमारा प्यार पक्का
करना चाहता हूँ
ऐसा कौन है जिसने
आसानी से मोहबत को पाया हो
पर इसका मतलब ये भी नही
की हर मेहनत जाया हो
आओ बेकार ही सही
पर कोशिश तो की जाए
जीवन भर पछताने से अच्छा
एक गलती की जाए
मैं लड़ लूंगा दुनिया से अकेले ही
गर तुम साथ मेरे खड़े हो जाओ
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