लिखता हूं धर्म है मेरा || Deep Thought Poetry In Hindi


Deep Thought Poetry In Hindi

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लिखता हूं धर्म है मेरा || Deep Thought Poetry In Hindi


लिखता हूं धर्म है मेरा
लिखता हूँ कर्म है मेरा

जो मैंने ना लिखा तो
फिर कौन लिखेगा

जो मैंने ना कहा
तो कौन कहेगा

लिखना जिद्द है मेरी
है लिखना मजबूरी

क्योंकी जब ऐसे हादसे होते है
तो लिखना जरुरी है

जब कोई दामिनी चीखती है
तो लिखना जरूरी है

जब किसी प्रद्युमन की जान जाती है
तो लिखना जरूरी है

जब कोहरा हादसा बनता है
तो लिखना जरूरी है

जब मौसम बिन मौसम बदलता है
तो लिखना जरूरी है

कभी कभी जब दिल भर आये
तो लिखना जरूरी है

जब आंखे शर्म से झुक जाए
तो लिखना जरूरी है
लेखक:-लव पांचाल

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