ना जानु वो कौनसी घडी थी || Love Poetry In Hindi

Love Poetry In Hindi

Love Poetry In Hindi - 1

ना जानु वो कौनसी घडी थी || Love Poetry In Hindi 

ना जानु वो कौनसी घडी थी,
जब पहली बार ये नजर तुझपर पड़ी थी,
किया था मुझ पर इस कदर जादू,
हो गया था दिल मेरा बेकाबू ।

रातो की नींदे तुने उड़ाई थी,
दिल का चैन वैन तु ले गयी थी,
अब तो मुस्कराती मेरी तन्हाई थी,
क्युकी तु मेरी जिन्दगी में आई थी ।

परियो से मिलने की तमन्ना
बचपन से मेरे दिल में थी,
कहानियों में सुना था परी होती है,
पर विश्वास ना था,
देखा तुझे तो समझ आया
परी कल्पना नही सच्चाई थी ।

ऐ खिलते फूलो जरा ठहरो,
खुद पर करते इतना नाज,
अब करके दिखलाओ,
अरे मेरे यार को देखो
देख चाँद भी शर्माता है,
वो निहारे जो आइना,
वो आइना भी उसका आशिक हो जाता है ।

जब होता है दिदार उसका,
तो दिल खिलखिलाता है,
जब ना दिखे दिनभर,
दिल बेचैन हो जाता है,
दिदार की प्यासी निगाहे,
हर तरफ बस उसे ढूढती है,
बाते होती किसी से है,
निगाहे कही और घुमती है ।

सोचता हूँ अपनी मोहब्बत का इजहार करदू,
अपने दिल की हर बात,
उसके दिल से शेयर करदू,
फिर डरता हूँ की अभी दिदार तो होते है,
कहते है इजहार के बाद,
आशिकों के खर्चे बहुत होते है,
यही सोचकर दिल की भावनाओ पर काबू करता हूँ,
दिल में जो अरमान उठते है
उन्हें दिल में ही रखता हूँ ।

लेखक:- लव पांचाल


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